हीरो स्प्लेंडर इलेक्ट्रिक कन्वर्जन किट के साथ देती है 151 किमी की रेंज

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हीरो स्प्लेंडर के लिए पेश किए इलेक्ट्रिक कन्वर्जन किट की कीमत 35,000 रूपए है और इसके साथ एक बार चार्ज होने पर 151 किमी की रेंज का दावा है

भारत सरकार साल 2030 तक भारत की सड़कों पर डीजल-पेट्रोल से चलने वाले वाहनों को कम कर देना चाहती है और इसके लिए कई तरह की कवायदें कर रही हैं, जिसे विभिन्न कार या दोपहिया वाहन निर्माता कंपनियां ही नहीं, बल्कि ऑटोमोटिव उद्योग से जुड़े हुए लोग भी समझ रहे हैं, क्योंकि इस बात का आभाष कहीं न कहीं हर एक को हो रहा है कि भविष्य इलेक्ट्रिक वाहनों का होगा।

नतीजतन हाल के दिनों में कई स्टार्ट-अप उभरे हैं और कुछ हद तक सफल भी हुए हैं। भारत में कैलेंडर वर्ष 2021 में लगभग 1.5 लाख इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों का रजिस्ट्रेशन हुआ है, जबकि प्रदूषण को कम करने की दिशा में एक अन्य तरीका भी मौजूद है, जो वाहनों को बैटरी से चलने वाले वाहनों में तब्दील करना है।

हालाँकि यह कवायद उतनी आसान नहीं है, जितना लोगों को लगता है, लेकिन इस दिशा में भी इन दिनों कई गतिविधियां देखी गई हैं और वाहनों को ईवी में रूपांतरित किया जा रहा है। महाराष्ट्र की GoGoA1 नाम की एक ईवी कन्वर्जन फर्म ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) की सलाह पर हीरो स्प्लेंडर के लिए कनवर्जन किट का निर्माण किया है।Hero-Splendor-Electric-Conversion-Kit-3इस कन्वर्जन की कीमत 35,000 रूपए है और इसके साथ एक बार चार्ज होने पर 151 किमी की प्रभावशाली रेंज का दावा किया गया है। यह फर्म मोटरसाइकिलों के लिए एक आरटीओ स्वीकृत इलेक्ट्रिक कन्वर्जन किट प्रदान करती है और उन्होंने कहा है कि उसकी मांग में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। फर्म लोकप्रियता के आधार पर अपने व्यवसाय का और विस्तार करने की योजना बना रही है।

बता दें कि GoGoA1 पेट्रोल से चलने वाले दो-पहिया वाहन, तीन-पहिया वाहन और चार-पहिया वाहनों को बैटरी से चलने वाले वाहनों में बदलने का काम कर रही है और इसका महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और दिल्ली सहित राज्यों में 50 से ज्यादा फ्रेंचाइजी के समर्थन का एक बड़ा नेटवर्क है।

फ्रैंचाइज़ी मालिकों को कनवर्जन किट की स्थापना, व्हीकल लीज और बैटरी की अदला-बदली के लिए हाथ मिलाने जैसे विकल्प मिलते हैं। ईवी कन्वर्जन किट निश्चित रूप से वाहनों के जीवनकाल को बढ़ाने में मदद करेगा और वे कई औसत दैनिक उपयोगकर्ताओं के काम आ सकती हैं। हालाँकि देश में अभी भी इस सेक्टर में काफी कार्य किए जानें की आवश्यकता है।