भारत में Skoda Rapid CNG जल्द होगी लॉन्च, Zac Hollis ने की पूष्टि

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Zac Hollis ने हाल ही में ट्वीट किया है कि स्कोडा जल्द ही भारत में चार नए वाहनों को लॉन्च करने की योजना बना रही है, जिनमें से एक रैपिड का CNG संस्करण है

स्कोडा इंडिया (Skoda India) अगले 12 महीनों के भीतर भारतीय बाजार में चार नए उत्पाद लॉन्च करने की योजना बना रही है। इन आगामी वाहनों में से पहला स्कोडा कुशाक (Skoda Kushaq) एसयूवी होगी, जिसके इस साल के मध्य में लॉन्च होने की उम्मीद है। कुशाक के अलावा स्कोडा एक नई सीएनजी कार पर भी काम कर रही है, जिसकी पुष्टि हाल ही में ट्विटर पर की गई थी।

स्कोडा ऑटो इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के सेल्स, सर्विस एंड मार्केटिंग के डाइरेक्टर Zac Hollis ने ट्विटर यूजर के सवाल पर जवाब दिया कि वे भारत में रैपिड के सीएनजी एडिशन (Skoda Rapid CNG) को पेश करने की योजना बना रहे हैं। यहाँ ध्यान देने योग्य है कि निर्माता पहले से ही सीएनजी पावरप्लांट (S) की परीक्षण कर रही है।

हम उम्मीद करते हैं कि CNG पॉवरप्लांट को सबसे पहले स्कोडा रैपिड (या इसके आगामी रिप्लेसमेंट सेडान) के साथ पेश किया जाएगा, क्योंकि रैपिड CNG के टेस्टिंग प्रोपोटाइप को पिछले साल देखा गया था। यहाँ यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि ऑक्टेविया कुछ अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में सीएनजी एडिशन में उपलब्ध है, जिसका नाम G-TEC है।

इसके अलावा हम उम्मीद करते हैं कि फॉक्सवैगन कारों पर पोलो और वेंटो में भी रैपिड तरह सीएनजी पॉवरप्लांट का भी इस्तेमाल किया जाएगा। वर्तमान में स्कोडा रैपिड केवल 1.0-लीटर, टर्बोचार्ज्ड, इनलाइन-3 पेट्रोल यूनिट के साथ उपलब्ध है। यह मोटर क्रमशः 110 पीएस की पावर और 175 एनएम का पीक टॉर्क उत्पन करता है और 6-स्पीड मैनुअल और 6-स्पीड ऑटोमैटिक गियरबॉक्स के साथ है।

रैपिड के सीएनजी एडिशन का 1.0 लीटर टर्बोचार्ज्ड इंजन द्वारा संचालित होने की उम्मीद है, जिसमें केवल CNG किट जोड़ा जाएगा। हालांकि पावर आउटपुट अलग हो सकता है, लेकिन सीएनजी किट जोड़ने से कार के माइलेज में वृद्धि होगी। सीएनजी मॉडल के आने सेल्स वॉल्यूम में भी वृद्धि होगी।

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बता दें कि पिछले साल फॉक्सवैगन और स्कोडा के साथ-साथ निसान, रेनो और मारुति सुजुकी जैसी कंपनियों ने बीएस6 नार्म्स के लागू होने के बाद अपने बीएस4 डीजल पावरप्लांट को अपग्रेड नहीं करने का फैसला किया था, लेकिन इन दिनों जिस तरह से ईंधन की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई को छू रही हैं। ऐसे में भविष्य में भारतीय बाजार में कम लागत में चलने वाले वाहनों की मांग बढ़ सकती है।