रेनो-निसान भारतीय बाजार में साल 2026 तक लाएंगी 4 नई एसयूवी

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रेनो और निसान के जोइंट वेंचर के तहत अगले कुछ सालों में कई कार्यवाही देखने को मिलेगी और यहाँ निर्मित कारों को विदेशी बाजारों में भी भेजा जाएगा

भारत को वैश्विक उत्पादन केंद्रों में से एक बनाने के लिए अपने फोकस के हिस्से के रूप में रेनो निसान ऑटोमोटिव इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने 600 मिलियन अमेरिकी डॉलर यानी 5,300 करोड़ रुपये का निवेश करने का निर्णय लिया है। इस फंड का इस्तेमाल मौजूदा पोर्टफोलियो के अपडेट और नए उत्पादों के लॉन्च सहित विभिन्न गतिविधियों के लिए किया जाएगा। इसका इस्तेमाल नई तकनीकों को विकसित करने पर भी किया जाएगा।

रेनो-निसान भारत में ए-सेगमेंट बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ-साथ बी+ और सी-सेगमेंट एसयूवी लॉन्च करेगी। इनका निर्माण कंपनी के तमिलनाडु के ओरगदम स्थित प्लांट में किया जाएगा। इन एसयूवी का निर्माण घरेलू और विदेशी बाजार दोनों के लिए किया जाएगा। भारतीय बाजार के लिए उनकी नई रणनीति के अनुसार कंपनी ने अपनी नई B+ और C-सेगमेंट एसयूवी पर काम करना शुरू कर दिया है।

रेनो के मामले में इनका कोडनेम P1311-R और P-1312-R रखा गया है, जबकि निसान वर्जन के लिए P1311-N और P-1312-N का कोडनाम रखा गया है। इन चारों एसयूवी का सामूहिक उत्पादन लक्ष्य हर साल 1,50,000 यूनिट है। इन्हें घरेलू और निर्यात दोनों बाजारों में बेचा जाएगा। यह जोइंट वेंचर 2026 तक हर साल लगभग 3.5 लाख यूनिट का निर्माण और बिक्री करने का लक्ष्य बना रहा है। बढ़ी हुई संख्या को मौजूदा प्लांट में समायोजित किया जा सकता है जो वर्तमान में लगभग 50 प्रतिशत की क्षमता पर काम कर रहा है।

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बता दें कि रेनो प्लांट की सालाना क्षमता 4,80,000 यूनिट है और यहाँ अप्रैल 2022 से फरवरी 2023 तक कुल उत्पादन केवल 1,98,545 यूनिट का रहा है। इसमें 1,11,170 रेनो कारें और 87,375 निसान की कारें शामिल हैं। रेनो और निसान की एसयूवी CMF-B प्लेटफॉर्म पर आधारित होंगी और इनमें से पहले के 2025 में दीवाली के आसापास लॉन्च होने की उम्मीद है।

रेनो संभवत: सबसे पहले डस्टर फाइव सीटर की शुरुआत करेगी, जबकि निसान की पेशकश भी कुछ इसी तरह की होगी, जिसका मुकाबला हुंडई क्रेटा, किआ सेल्टोस और मारुति ग्रैंड विटारा जैसी कारों से होगा। जबकि कंपनियां तीन पंक्ति वाले वर्जन को भी लाने की योजना बना रहे हैं, जिन्हें 2026 तक लॉन्च किया जा सकता है। ये कार केवल पेट्रोल इंजन से लैस होंगी, जबकि बाद में डीजल इंजन भी जोड़ा जा सकता है।

रेनो-निसान 2027 तक ए-सेगमेंट बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों को लॉन्च करने पर भी ध्यान केंद्रित करेगी। इन्हें स्थानीय रूप से निर्मित किया जा सकता है या रेनो मेगन या निसान आरिया जैसे ऑल इलेक्ट्रिक कारों के लिए सीबीयू मार्ग पर विचार किया जा सकता है। वहीं दूसरी ओर जब तक रेनो-निसान की नई कारें लॉन्च नहीं हो जाती हैं, तब तक कंपनी अपने मौजूदा पोर्टफोलियो को अपग्रेड करने पर ध्यान देगी। लेफ्ट-हैंड-ड्राइव मैग्नाइट जैसी कारों की निर्यात संख्या लगभग 50k यूनिट बढ़ने की उम्मीद है। यह प्रति यूनिट उत्पादन की कुल लागत को कम करने में मदद करेगा।