भारत में पहले CNG Tractor से हटा पर्दा, साल में 1 लाख रुपये तक की करेगा बचत

CNG electric tractor

भारत सरकार ने भारत के पहले सीएनजी ट्रैक्टर का अनावरण किया है, जिसे लेकर दावा है कि इससे किसानों को हर साल 1 लाख रूपए की बचत होगी और किसान आत्मनिर्भर भी बन सकेंगे

केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने देश की राजधानी दिल्ली में देश के पहले सीएनजी ट्रैक्टर (CNG tractor) का अनावरण किया है। इस अवसर पर केन्‍द्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के अलावा धर्मेन्‍द्र प्रधान, जनरल वीके सिंह और पुरुषोत्‍तम रुपाला आदि भी मौजूद रहे। ट्रैक्टर को लेकर केन्द्रीय मंत्री का दावा है कि इससे किसानों के परिचालन लागत को कम करने में मदद मिलेगी। CNG ट्रेक्टर को रावमट टेक्नो सॉल्यूशंस और टोमासेटो अचीले इंडिया द्वारा संयुक्त रूप से परिवर्तित किया गया है।

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि इस ट्रैक्टर के आने से हर साल 1 लाख रूपए के ईंधन की बचत होगी और यह ट्रैक्‍टर जल्‍द ही बाजार में उपलब्‍ध होगा, जिसमें सीएनजी किट लगी होगी। इससे खेती पर आने वाले खर्च को कम किया जा सकेगा। यह ट्रैक्टर अन्य सीएनजी वाहनों की तरह स्टार्ट डीजल से होगा, लेकिन बाद में सीएनजी से चलेगा। सरकार पब्लिक ट्रांसपोर्ट को भी CNG में शिफ्ट करने की योजना साथ लेकर चल रही है।

नितिन गडकरी ने कहा कि 15 साल पुराने ट्रैक्टर में अगर यह किट लगाई जाए, तो वो नया जैसा बन जाएगा और डेढ़ साल में रेट्रोफिटिंग (डीजल से CNG में कन्वर्जन) का खर्च भी वसूल हो जाएगा। सीएनजी किट मेक इन इंडिया के तहत बनाने की तैयारी है और आगे भी कृषि में इस्‍तेमाल होने अन्‍य उपकरणों को भी बायोसीएनजी में कनवर्ट करने की योजना है। सरकार ट्रैक्टरों पर सीएनजी किट के लिए रेट्रो फिटमेंट केंद्रों की स्थापना शुरू करेगी और हर जिले में ऐसे केंद्र स्थापित करने की बात कही गई है।

सरकार का कहना है कि पराली का उपयोग बायो-सीएनजी के उत्पादन में किया जा सकता है। लिहाजा किसानों को बायो-सीएनजी उत्पादन इकाइयों को बेचकर पैसा कमाने में मदद करेगा। एक अनुमान की मानें तो 5 टन पराली/7 टन कॉटन स्ट्रॉ/5 टन राइस स्ट्रॉ से एक टन बायो-CNG तैयार होती है, यानी किसान ही इस ट्रैक्टर के लिए ईंधन तैयार करेंगे और कमाई करेंगे। पराली से बायो-CNG बनाने से देशभर के किसानों की 1500 करोड़ की कमाई होगी।

बता दें कि कृषि में ट्रैक्टर को इस्तेमाल करने के लिए औसत प्रति घंटा 4 लीटर डीजल लगता है। हालांकि यह खर्च ट्रैक्टर के हार्सपावर पर निर्भर करता है और अनुमानित रूप से मानें तो इसका खर्च 78 रुपए प्रति लीटर के अनुसार 312 रुपए आता है। इसके विपरीत सीएनजी से ट्रैक्टर चलने में 4 घंटे में 200 रुपए के करीब सीएनजी खर्च होने का अनुमान है।

इस तरह डीजल के मुकाबले सीएनजी की खपत कम होती है और पेट्रोल व डीजल वाहनों की तुलना में सीएनजी वाहन ज्यादा माइलेज भी देते हैं। इसके इस्तेमाल से प्रदूषण में भी कमी आती है। इस वक्त देश में करीब 60 फीसदी कारें, ट्रक, बस और ट्रैक्टर डीजल से चलते हैं, जिसमें कुल खपत होने वाले डीजल का 13 फीसदी ट्रैक्टर, कृषि उपकरण और पंपसेट आदि में प्रयोग होता है। एक डीजल वाहन 7-8 पेट्रोल वाहनों जिनता प्रदूषण फैलाता है उसके मुकाबले एक टैक्टर ज्यादा पावर के कारण 7-8 पेट्रोल कारों जितना प्रदूषण फैलाता है।