हुंडई नेक्सो FCEV भारत के लिए दक्षिण कोरियाई कार निर्माता का अगला CBU प्रोडक्ट हो सकता है और इसके 2021 में लॉन्च होने की उम्मीद है
हुंडई नेक्सो एफसीईवी (Hyundai Nexo FCEV) को इस साल के ऑटो एक्सपो 2020 में शोकेस किया गया था और इसे अगले साल भारत में लॉन्च किया जा सकता है। इस कार को भारत में सीबीयू रूट के माध्यम से लाया जा सकता है। नेक्सो एफसीईवी फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक वाहन है, जो पावर जेनरेट करने के लिए हाइड्रोजन फ्यूल का इस्तेमाल करता है।
फ्यूल सेल EV में ट्रेडिशनल बैटरी से चलने वाले इलेक्ट्रिक वाहन के अपने कुछ फायदे भी हैं। इसमें सबसे पहले तो फ्यूल भरने में आसानी होती है और FCEV को चार्ज करने के लिए प्लग की आवश्यकता नहीं होती है। इसके लिए एक हाइड्रोजन फ्यूल टैंक का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे कुछ ही मिनटों में सामान्य पेट्रोल या डीजल से चलने वाली कारों की तरह भरा जा सकता है। यह काफी व्यावहारिक भी है, क्योंकि बैटरी ईवी आमतौर पर पर्याप्त रूप से चार्ज होने में लगभग एक घंटे का समय लेती है।
हालांकि FCEV का सबसे बड़ा नुकसान, विशेष रूप से भारत में, हाइड्रोजन फिलिंग स्टेशनों की कमी है। यूरोपीय बाजार में, यह समस्या नहीं है और वहां बहुत सारे हाइड्रोजन स्टेशन हैं, जबकि भारत में ईवी इंफ्रास्ट्रक्चर काफी कमजोर है, और रेग्यूलर इलेक्ट्रिक कार के मालिक आमतौर पर अपने वाहनों को घर पर चार्ज करने के लिए सीमित होते हैं।
हुंडई नेक्सो एफसीईवी को 163 पीएस की पावर और 395 एनएम के टॉर्क के लिए रेट किया गया है और यह लगभग 8.5 सेकंड में 0 से 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ सकती है। कार की मैक्सिमम स्पीड 179 किमी प्रति घंटे तक है। कार अपने टेलपाइप से केवल जल वाष्प का उत्सर्जन करती है, जिससे यह उत्सर्जन-मुक्त कार बनती है।
नेक्सो की ड्राइविंग रेंज भी प्रभावशाली है, जिसने WLTP टेस्ट सायकल में 666 किमी का दावा किया गया है और इसमें 12.3 इंच का टचस्क्रीन इंफोटेनमेंट सिस्टम, वायरलेस चार्जिंग, 8-स्पीकर केआरईएल साउंड सिस्टम (बाहरी एम्पलीफायर के साथ), सनरूफ, हीटेड और वेंटिलेटेड सीट और हीटेड स्टीयरिंग व्हील जैसे कई सारे फीचर ऑन-बोर्ड होंगे।
नेक्सो एफसीईवी को कंपनी हुंडई कोना ईवी की तरह एक प्रीमियम प्रोडक्ट के रूप में इसकी बिक्री करेगी और इसकी कीमत 50 लाख (एक्स-शोरूम, नई दिल्ली) रूपए तक होने की उम्मीद है। हुंडई ने यह भी कहा है कि ऐसे वाहनों को बनाए रखने के लिए आवश्यक बुनियादी ढाँचे के होना बहुत जरूरी है। इसे सबसे पहले दिल्ली/एनसीआर में लॉन्च किया जाएगा और बाद में भारत के अन्य शहरों में उतारा जाएगा।