भारत में अब इलेक्ट्रिक वाहनों के रजिस्ट्रेशन फीस के भुगतान की जरूरत नहीं

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सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने घोषणा की है कि भारत में अब ईवी मालिकों को रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट फीस का भुगतान करने की जरूरत नहीं है

भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की लोकप्रियता धीरे-धीरे बढ़ रही है और इसे प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र व राज्य सरकारें कई पहल कर रही हैं। इसी कड़ी में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने घोषणा की है कि देश में बेचे जाने वाले सभी इलेक्ट्रिक वाहनों के रजिस्ट्रेशन फीस के भुगतान की जरूरत नहीं है। इस तरह अब इलेक्ट्रिक वाहनों के मालिकों को रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट जारी करने या नवीनीकरण के लिए फीस नहीं देना होगा।

देखा जाए तो मंत्रालय की ओर से की गई यह घोषणा वास्तव में एक अच्छा कदम है, जो कि इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीददारी को बढ़ावा देगा और खरीददारों को अपनी ओर आकर्षित करने में मदद करेगा। बता दें कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने इस साल मई में केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 में संशोधन करने या बैटरी चालित वाहनों (बीओवी) को रजिसट्रेशन फीस में छूट देने का प्रस्ताव जारी किया था।

अब मंत्रालय ने इस प्रस्ताव को लागू कर दिया है, जो कि देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करेगा। इससे पहले कई राज्य सरकारों ने ईवी पर रजिस्ट्रेशन फीस में छूट दी थी, लेकिन इस नई नीति से देश भर के सभी ईवी खरीददार लाभान्वित होंगे। दरअसल देश में हर रोज डीजल पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि हो रही है। इसलिए लोगों का इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर ज्यादा रूझान बढ़ने की संभावना है।

2021 MG ZS EV

इलेक्ट्रिक वाहन वास्तव में भविष्य के वाहन हैं, लेकिन वर्तमान में ईवी मालिकों को सबसे ज्यादा चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी की समस्या से जूझना पड़ा रहा है। हालांकि मंत्रालय और कई निर्माता भी इस समस्य़ा से निपटने के लिए तेजी से कार्य कर रहे हैं। इलेक्ट्रिक वाहन के क्षेत्र में भी देश में कई बदलाव देखे गए हैं और टाटा, एमजी और हुंडई जैसी कार निर्माता कंपनियां बाजार में अपने इलेक्ट्रिक एसयूवी की पेशकश कर रही हैं।

भारत में इस वक्त टाटा नेक्सन ईवी देश की सबसे सस्ती और सबसे ज्यादा बिकने वाली इलेक्ट्रिक एसयूवी है। देश में इलेक्ट्रिक टू व्हीलर सेगमेंट में भी तेजी जा रही है और बजाज, टीवीएस, एथर, रिवॉल्ट जैसी कंपनियां अपने प्रोडक्ट की पेशकश कर चुकी हैं, जबकि ओला सहित कई निर्माता अपने नए इलेक्ट्रिक दपोहिया वाहन पर कार्य कर रहे हैं। कई निर्माताओं ने कम क्षमता या कम गति वाले दोपहिया और इलेक्ट्रिक थ्री व्हीलर भी बनाए हैं। ये इलेक्ट्रिक थ्री व्हीलर अब भारत के कई शहरों में कनेक्टिविटी व्हीकल के रूप में इस्तेमाल किए जा रहे हैं।

Hyundai Kona EV

भारत की सबसे बड़ी निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी भी एक इलेक्ट्रिक कार पर काम कर रही है, जिसे देश में साल 2025 तक पेश किया जाएगा, जबकि टाटा मोटर्स और महिन्द्रा की ओर से भी देश में 2025 तक इलेक्ट्रिक वाहनों की एक बड़ी सीरीज की पेशकश की जाएगी। हाल ही में केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रिक टू व्हीलर के लिए सब्सिडी बढ़ाने के लिए अपने फेम-2 पॉलिसी को भी संशोधित किया है, जिसके तहत कई इलेक्ट्रिक स्कूटरों की कीमत में करीब 15,000 रूपए तक की कमी आई है।

बता दें कि वर्तमान में देश में नया प्रमाणपत्र जारी करने या मौजूदा प्रमाणपत्र के नवीनीकरण के लिए पंजीकरण फीस यात्री वाहनों पर 1,000 रुपये से 1,500 रुपये और दोपहिया वाहनों पर 300 रुपये है। यहां आयातित वाहनों पर यह राशि और भी बढ़ जाती है, जो कि पैसेंजर व्हीकल के लिए 5,000 रुपये है और आयातित दोपहिया वाहनों के लिए लगभग 2,500 रुपये है। ऐसे में अगर खरीददार इलेक्ट्रिक वाहनों को प्राथमिकता देते हैं तो वे इस फीस के साथ-साथ डीजल-पेट्रोल के खर्चे से भी बचेंगे।